रिलायंस कम्युनिकेशन (आरकॉम) के चेयरमैन अनिल अंबानी के खिलाफ दायर की गई अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। 550 करोड़ रुपये का बकाया नहीं चुकाने की वजह से स्वीडिश कंपनी एरिक्सन ने अनिल के खिलाफ अदालती अवमानना का मुकदमा कर रखा है। बुधवार को सुनवाई के दौरान अनिल भी कोर्ट में मौजूद थे।
एरिक्सन के वकील दुष्यंत दवे ने कहा, ‘बकाया राशि चुकाने तक अनिल को हिरासत में लिया जाना चाहिए। ये अवमानना का साधारण केस नहीं है बल्कि एक असाधारण मामला है।’ दवे ने कहा, ‘उनके पास राफेल में निवेश करने के लिए पैसा है लेकिन वह अदालत (550 करोड़ रुपये का भुगतान) में जताई गई प्रतिबद्धता का सम्मान नहीं करना चाहते।’ उन्होंने कहा कि ये राजाओं की तरह रहते हैं। ये सोचते हैं कि ये मानवता के लिए भगवान द्वारा दिए गए उपहार स्वरूप हैं। इनके पास रफाल में निवेश के लिए पैसा है, लेकिन हमारा बकाया चुकाने के लिए पैसा नहीं है। ये कोर्ट के आदेशों का मान नहीं रखना चाहते।
दवे ने कहा कि आरकॉम ने अगस्त 2018 में स्टॉक एक्सचेंज को बताया था कि उसने जियो फाइबर और दूसरी आधारिक संरचना को बेचने का सौदा 5,000 करोड़ रुपये में तय किया है और उसी दिन उसके शेयर प्राइस में 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। उन्होंने अदालत को बताया कि स्पेक्ट्रम और मोबाइल टावर बेचने से कंपनी को 18,100 करोड़ रुपये का अतिरिक्त फायदा मिला। उन्होंने कहा, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक असाधारण शख्स है जिसे देश के बेहतरीन सलाहकार और बेहतरीन वकील अपनी सलाह दे रहे है। इन्होंने कोर्ट के आदेशों की जानबूझकर अवमानना की है। इनपर कार्रवाई की जानी चाहिए।’
दवे ने आगे कहा कि अंबानी पहले दिन से वह कोर्ट से किए गए वादे को पूरा नहीं करना चाहते हैं। आपके पास कई हजार करोड़ रुपये की निजी संपत्तियां हैं और आपको अपना वादा पूरा करना पड़ेगा। वह बादशाहों की तरह रहते हैं लेकिन वादे को पूरा नहीं करना चाहते।’ उन्होंने कहा कि समूह के पास पैसा है क्योंकि उसका कहना है कि यदि एरिक्सन अपनी याचिका वापस ले लेता है तो वह उसे पैसा लौटाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि देनदार बैंक अनिल अंबानी की कंपनी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
इससे पहले आरकॉम के वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत में जवाब दाखिल कर कहा कि एरिक्सन के 550 करोड़ रुपये के बकाया कर्ज का भुगतान नहीं कर कंपनी ने किसी प्रकार की अवमानना नहीं की है। रोहतगी के मुताबिक, एरिक्सन का बकाया इसलिए नहीं चुकाया गया, क्योंकि आरकॉम का रिलायंस जियो के साथ स्पेक्ट्रम बिक्री का सौदा टूट गया। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 23 अक्तूबर को आरकॉम से कहा था कि वह 15 दिसंबर, 2018 तक बकाया राशि का भुगतान करे और ऐसा नहीं करने पर उसे 12 फीसद सालाना की दर से ब्याज भी देना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने 23 अक्टूबर को आरकॉम को कहा था कि वह एरिक्सन कंपनी को 15 दिसंबर तक 550 करोड़ रुपए की बकाया राशि का भुगतान करे। अगर रकम चुकाने में देरी होती है तो सालाना 12% ब्याज भी देना होगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पूरा करने में नाकाम रहने पर एरिक्सन कंपनी ने अवमानना याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त याचिका पर अनिल अंबानी को नोटिस जारी कर उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा था।